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फैरिंगाइटिस: लक्षण, कारण और उपचार
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फैरिंगाइटिस एक बहुत ही सामान्य समस्या है जो गले में इंफेक्शन से होती है। इस रोग में गले में सूजन, दर्द और इंफेक्शन के कारण तकलीफ होती है। फैरिंगाइटिस की समस्या सबसे अधिक बच्चों में देखी जाती है, लेकिन यह किसी भी उम्र के व्यक्ति में हो सकती है।
फैरिंगाइटिस के लक्षण:
गले में दर्द और सूजन
खांसी और ठंडी खांसी
त्वचा में लाल दाने और खुजली
गले में खराश या दुखना
सामान्य थकान और बुखार
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फैरिंगाइटिस के कारण:
फैरिंगाइटिस का मुख्य कारण वायरस या बैक्टीरिया होता है, जो इंफेक्शन के कारण होता है। वायरस से होने वाली फैरिंगाइटिस ज्यादातर सर्दियों के मौसम में होती है। जबकि बैक्टीरिया से होने वाली फैरिंगाइटिस समस्या लंबे समय तक रहती है। धूम्रपान, अल्कोहल लेना, लंबे समय तक ठंडी हवा में रहना आदि भी इस समस्या का कारण है
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फेरिंजाइटिस के उपचार में कुछ आम उपाय शामिल हैं:
पर्याप्त आराम: फेरिंजाइटिस के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपाय है पर्याप्त आराम लेना। इससे शरीर को आराम मिलता है और इससे संक्रमण से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।
गर्म पानी से गरारा करें: गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करना फेरिंजाइटिस के लिए बहुत ही असरदार उपाय है। इससे गले के इंफेक्शन से निपटा जा सकता है और गले के दर्द में भी आराम मिलता है।
गर्म पदार्थों का सेवन: गर्म पानी के साथ-साथ चाय, सूप, या अन्य गर्म पदार्थों का सेवन भी फैरिंगाइटिस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।
दुष्प्रभावों का निवारण: धूल, धुआं, धुंध और अन्य दुष्प्रभावों से बचना फैरिंगाइटिस के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
पर्याप्त पानी पिएं: फेरिंजाइटिस के दौरान पर्याप्त पानी पीना बहुत जरूरी होता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और संक्रमण से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।
दवाओं का उपयोग: जो लोग जल्द से जल्द अपने लक्षणों से राहत पाना चाहते हैं, उन्हें डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का सेवन करना चाहिए। इनमें दर्द निवारक दवाएं, थ्रोट स्प्रे और एंटीबायोटिक दवाएं शामिल हो सकती हैं।
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फेरिंजाइटिस के दुष्परिणाम:
फेफड़े का प्रभाव आमतौर पर गले के उपरांत उत्पन्न होता है। यह एक सामान्य और साधारण रोग है जो संक्रमण से होता है और गले में दर्द, खराश, निकटता या आंतरिक तरीके से सूजन का कारण बनता है। अधिकतर लोगों को फेफड़े से जुड़े संक्रमण में जल्द से जल्द राहत मिल जाती है, लेकिन कुछ लोगों को यह समस्या गंभीर हो जाती है और दुर्गंध संक्रमण विकसित हो सकता है।
फेफड़ों के संक्रमण के लक्षण श्वसन में तकलीफ, बुखार, सांस लेने में असहजता, साँस फूलने का अनुभव, और सूखी खांसी शामिल हो सकते हैं। यदि इसे नज़रअंदाज़ किया जाता है तो यह बीमारी बढ़ सकती है और फेफड़ों की अंतिम अवस्था में संक्रमण, फेफड़ों के आकार में कमी, फेफड़ों के अंतिम समाप्ति या मृत्यु का कारण बन सकता है।
इसलिए, फेफड़ों के संक्रमण के लक्षणों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए और उचित उपचार की जानकारी होनी चाहिए।